जानिए क्या सच में हो सकता है EVM (electronic voting machine ) में घोटाला ?

आज हम आपको बताएँगे की क्या सच मच में EVM (electronic voting machine) में घोटाला कर पाना संभव है ? अगर है भी तो कैसे ?



सबसे पहले हम जानेंगे की EVM का इस्तेमाल हम कबसे कर रहे है। EVM का इस्तेमाल लगभग सभी देशो में कई सालो से किया जा रहा है जहा तक हम बात करते है भारत देश की तो पहले हम वोटिंग के लिए इस्तेमाल करते थे BALLOT PAPER SYSTEM जिसमे जो वोटर होता था वो एक कागज के टुकड़े पर मुहर लगाकर अपना वोट डालता था फिर उन्ही सब कागजो की गिनती होने के बाद ये पता चलता था की विजेता कौन है। पर इस चुनाव प्रणाली में कागजो का इस्तेमाल बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता और यह बहुत खर्चीला भी था। इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए हमें जरुरत थी ऐसे प्रणाली की जो कम खर्चीली हो और सटीक भी। और  इसलिए EVM का अविष्कार किया गया और इसका सबसे पहले इस्तेमाल हुआ १९८२ में केरल में कुछ पोलिंग बूथ पर इसके बाद धीरे धीरे इसका हर जगह पर इस्तेमाल शुरू हो गया और फिर २००४ से सभी चुनावो में इसका इस्तेमाल किया जाने लगा। यह मशीन भारत में सिर्फ दो ही जगहो पर बनाया जाती है पहली जो जगह है वो है बंगलुरु में जिसका नाम है "BHARAT ELECTRONICS LIMITED" और जो दूसरा है वो है "ELECTRONICS CORPORATION OF INDIA LTD" जो की हैदराबाद में स्थित है। दोनों ही जगहों पर बिलकुल एक जैसी ही मशीने बनायीं जाती है।  


अब बात करते है ये मशीन काम कैसे करती है इनमे दो मुख्या पार्ट होते है जो पहला पार्ट है वो है बलोटिंग यूनिट ये वो पार्ट है जो मतदाता के सामने होता है जब वो वोट करते है  इसमें सभी उम्मीदवारों के नाम होते है और साथ में उनका चुनाव चिन्ह उसके सामने होता है एक बटन जिसे दबाकर मतदाता अपना वोट डालते है।  एक मशीन में सिर्फ १६ उमीदवारो के नाम सकते है अगर उम्मीदवार ज्यादा है तो एक साथ यहा पर ज्यादा से ज्यादा चार मशीने लगायी सकती है इससे इसकी छमता बढ़ कर ६४ उम्मीदवारों की हो जाती है। ये जो बलोटिंग यूनिट है इसे कनेक्ट किया जाता है कंट्रोल यूनिट के साथ में करीब मीटर लंबी वायर की मादा से। इसमें किसी भी प्रकार का वायरलेस कम्युनिकेशन नही होता। इस कंट्रोल यूनिट बे कुछ बेसिक बटन होते है, जब कोई मतदान करने आता है तो वो दबाता है अपने उम्मीदवार के बटन को जिससे जो कंट्रोल यूनिट होती है वो सुरु हो जाती है।  यह मशीन एक बार में सिर्फ एक ही इनपुट को स्वीकार करती है और बार बार बटन दबाने के बाद बाद से ये सारे इनपुट लिए जाते है। इस मशीन की जो छमता है वो है ३८४० वोटों की। एक बार जब सारे वोट्स ख़त्म हो जाते है तब दबाया जाता "close" बटन को इसके बाद में ये मशीन कोई भी इनपुट नही लेती। इसके बाद में "total' बटन को दबाकर देखा जाता है की टोटल वोट्स कितने आये है इसके बाद में मशीन को पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है और जो RESULT वाला बटन होता है वो दबाया जाता है रिजल्ट वाले दिन को इससे मालूम पड़ता है की कौन से उम्मीदवार को कितने वोट मिले है। 


अब हम बात करते है की क्या इस मशीन को हैक कर पाना मुमकीन है या नही।  कुछ शोधकर्ताओं ने ईस मशीन को पूरी तरह से चेक करने के बाद बताया की इस मशीन को हैक किया जा सकता है दो तरीको से पहला जो तरीका है वो है मशीन के डिस्प्ले को बदल कर अगर इस मशीन के डिस्प्ले को बदल दिया जाये और इसके जगह पर दूसरा वैसा ही दिखने वाला डिस्प्ले लगा दिया जाये जिसके निचे एक "bluetooth device" लगाया जाये साथ में एक "display driver" अगर ऐसा कर दिया जाये तो मशीन जो है वो सही तरीके से काम करेगी पर जो display पर रिजल्ट दिखाए जायेंगे उसे बदला जा सकता है मन मुताबिक पर इसे कर पाना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि जो मशीन है वह बहुत ही सुरक्षा के साथ में रखी जाती है। और जो दूसरा तरीका है वो यह है की इस मशीन की मेमरी को rewrite कर दिया जाये ऐसा करना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि इस मशीन का सारा सॉफ्टवेर मशीन से जुड़ा हुआ है फिर भी अगर कोई बहुत मेहनत करे तो ऐसा किया जा सकता है। फिर भी एक बात सोचने वाली है की ऐसा करना बहुत ही मुश्किल है।  


अगर आपके कुछ सवाल और सुझाव होतो कृपया करके हमें comment box में जरूर बताये।   

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